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Que : 45. कम्पाइलर क्या है? कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में अंतर लिखिए।

कम्पाइलर और इंटरप्रेटर के बीच का अंतर स्पष्ट कीजिए।

कम्पाइलर व इंटरप्रेटर में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Answer:

उत्तर- कम्पाइलर (Compiler)-

कम्पाइलर (Compiler)-
वे अनुवादक जो उच्चस्तरीय उच्चस्तरीय भाषा का प्रोग्राम भाषा के प्रोग्राम के सभी निर्देशों को एक बार में ही मशीनी भाषा में परिवर्तित करते हैं, कम्पाइलर कहलाते हैं। ये प्रोग्राम को क्रियान्वित करने में अधिक समय लेते हैं।



उच्चस्तरीय भाषा में प्रोग्राम तैयार करने से पहले वह समस्या (problem) जिसको हल करना है, की एक कार्यविधि को अपनी मानवीय भाषा में कागज पर लिख लिया जाता है जिससे प्रोग्राम लिखने में सहायता मिलती है। मानवीय भाषा (जैसे – अंग्रेजी) में लिखी गई समस्या के हल की कार्यविधि तर्क (logic) या एल्गोरिथ्म कहलाती है।

कम्पाइलर और इंटरप्रेटर के बीच अंतर (Difference Between Compiler and Interpreter)-

कम्पाइलर और इंटरप्रेटर में निम्नलिखित अंतर होते हैं –

क्र.सं.

कम्पाइलर

इंटरप्रेटर

(i)

यह संपूर्ण प्रोग्राम को मशीन कोड में एक साथ अनुवादित करता है।

यह प्रोग्राम को मशीन कोड में लाइन से अनुवादित करता है।

(ii)

जब तक प्रोग्राम की समस्त सिन्टेक्टिकल एरर्स को हटा नहीं दिया जाता, तब तक प्रोग्राम का आउटपुट नहीं देख सकते।

जहाँ तक प्रोग्राम एरर फ्री है, वहाँ तक का आउटपुट देख सकते हैं।

(iii)

कम्पाइलर अधिक मेन मैमोरी का प्रयोग करता है।

इंटरप्रेटर को अपेक्षाकृत कम मेन मैमोरी की आवश्यकता होती है।

(iv)

प्रोग्राम का सम्पूर्ण एक्जीक्यूशन टाइम कम होता है।

प्रोग्राम का सम्पूर्ण एक्जीक्यूशन टाइम अधिक होता है।

(v)

प्रोग्राम के एरर फ्री होने के पश्चात् यह संपूर्ण प्रोग्राम को मशीन कोड में परिवर्तित करता है एवं ऑब्जेक्ट कोड को लिंक करते हुए सीधे एक्जीक्यूट करता है।

प्रोग्राम के प्रत्येक एक्जीक्यूशन पर प्रत्येक लाइन का सिन्टेक्स चैक किया जाता है एवं मशीनी कोड में परिवर्तित किया जाता है।

(vi)

कम्पाइलर को डिजाइन करना कठिन एवं महँगा होता है।

इंटरप्रेटर को डिजाइन करना अपेक्षाकृत सरल होता है।