Botany वनस्पति विज्ञान

प्रश्न 14 : प्रसुप्ति का क्या महत्त्व है ?

उत्तर–प्रसुप्ति का महत्त्व (Importance of dormancy)-

(1) बीजों, कलिकाओं तथा अन्य अंगों की प्रसुप्ति शीत अथवा सूखे की प्रतिकूल परिस्थितियों को टालने में सहायक होती है। उचित अनुकूल परिस्थितियों के आगमन पर ये अंग अंकुरित या प्रस्फुटित होकर सामान्य रूप से वृद्धि करते हैं। प्रकृति में अनेक बीजों की प्रसुप्ति शीतकाल के पश्चात् या सूखे के बाद वर्षा ऋतु के आगमन पर भंग होती है, जिससे इनकी आगामी वृद्धि सुरक्षित रूप से सम्पन्न होती हैं।

(2) मरुस्थलीय पादपों में बीजावरण में वृद्धि निरोधकों की उपस्थिति के कारण प्रसुप्तता पाई जाती है जिससे वे शुष्क काल में निष्क्रिय पड़े रहते हैं। ये बीज सभी अंकुरित हो पाते हैं जब वर्षा ऋतु में इनके बीजावरण से वृद्धि निरोधक प्रक्षालित (wash away) हो जाते हैं। इस प्रकार इन बीजों की प्रसुप्ति इन्हें सूखे के वर्षों में सुरक्षित बनाए रखती हैं।

(3) विभिन्न पादप जातियों के बीज जो पक्षियों द्वारा प्रकीर्णित होते हैं, प्रसुप्ति एक लाभदायक अनुकूलन है। ये बीज पक्षियों की आहार नाल से गुजरते हैं जिसके फलस्वरूप इनकी बीज'चोल नरम हो जाती है तथा ये अनुकूल परिस्थितियों में आसानी से अंकुरित हो जाते हैं।

(4) कन्दों, बीजों तथा प्रकन्दों आदि का विलम्बित अंकुरण (delayed germination) इनके भण्डारण में लाभप्रद होता है। इसी प्रकार प्रसुप्ति भंग करने की जानकारी के उपयोग से किसी विशिष्ट फसल को विभिन्न समय पर उगाकर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।


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