Zoology प्राणीशास्त्र

प्रश्न 25 : उत्प्रवास व अप्रवास की व्याख्या कीजिये।

उत्तर- (i) बहिः प्रवास (Emigration)- एक ही तरफ, केवल बाहर की ओर होने वाली गति को बहि: प्रवास कहते हैं। इस प्रकार के प्रकीर्णन में प्राणियों का एक छोटा-सा समूह अनियमित गति करता है या फिर कभी-कभी व्यापक गति (mass movement) भी होती है। पक्षियों जैसे बतख की कई जातियों में छोटे प्राणी तथा कुछ हद तक वयस्क भी प्रजनन ऋतु के पश्चात् एवं सर्द क्षेत्रों की ओर शरद प्रवास (Autumnal Emigration) के प्रारम्भ में पहले सभी दिशाओं में चलते हैं। बतखों जैसी अनियमित गतियाँ कई प्राणियों में पाई जाती हैं।

बहि:प्रवास के लिए कई प्राणियों में व्यापक गति भी पाई जाती है। जैसे कनाडा के मूषक (लेमिंग) में मिस्र एवं भारत के टिड्डों (Locust) में इत्यादि। इन जातियों के बहि:प्रवास में लाखों प्राणी भाग लेते हैं तथा इनकी यह गति नियमित अन्तराल के पश्चात् सम्पन्न होती है।

जिन नये क्षेत्रों में टिड्डे प्रवेश करते हैं, वहाँ की परिस्थितियाँ कम अनुकूल होती हैं जिनके कारण इन क्षेत्रों में केवल कुछ ही टिड्डे जीवित रह पाते हैं। इनके शत्रु भी अपना भोजन अधिक देखकर इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं। इन कारणों से टिड़ों की समष्टि का घनत्व कम हो जाता।

(ii) अन्तःप्रवास (Immigration)- अन्त:प्रवास प्राणियों द्वारा किसी क्षेत्र के अन्दर की ओर केवल एक ही तरफ की गति होती है, अर्थात् किसी स्थान पर एक जाति का आगमन अन्त:प्रवास कहलाता है। यहाँ आये हुए प्राणियों के पुनः लौट जाने की कोई आशा नहीं होती। एक स्थान से बाहर आने वाले प्राणी साथ ही साथ दूसरे क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि बहि: प्रवास तथा अन्त:प्रवास साथ-साथ होते हैं तथा बहि:प्रवास के उदाहरण अन्त:प्रवास के लिए प्रयुक्त होते हैं।

(iii) प्रवास (Migration)- प्रवास के समय प्राणियों की एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति होती है और कुछ अवधि के पश्चात् ये प्राणी पुनः प्रारम्भिक क्षेत्र में लौट जाते हैं। प्रायः इस प्रकार के प्रकीर्णन में समस्त समष्टि भाग लेती है। कई पक्षियों, स्तनधारियों, मछलियों, कुछ सरीसृपों, क्रेब (crab) एवं तितलियों में इस प्रकार की गति पाई जाती है।

प्रवास के उत्तम उदाहरण पक्षियों में मिलते हैं। लगभग सभी पक्षी मौसमी गति करते हैं। पक्षियों के प्रवास में पर्वत के आस-पास ऊपर या नीचे आने की केवल सैकड़ों फीट की यात्रा से निशान-रहित समुद्र पर हजारों मील की उड़ानें तक सम्मिलित हैं। प्रवास के लिए इन प्राणियों में अत्यधिक तीव्र नैसर्गिक वृद्धि (instinct) पायी जाती है।

(iv) पुनः प्रवास (Remigration)- यह प्रकीर्णन प्रवास जैसा ही होता है क्योंकि इसमें भी प्राणी एक क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं। तथा कुछ समय पश्चात् प्रारम्भिक क्षेत्र में लौट आते हैं। वापसी यात्रा अगली पीढ़ी के प्राणी करते हैं। पुन:प्रवास सामान्यतया अकशेरूकियों में विशेषकर कीटों में पाया जाता है। बिएल (Beall, 1941) तितलियों में पुन:प्रवास का अध्ययन किया तथा देखा कि मोनार्क तितलियाँ यौन परिपक्वता से पहले दक्षिण की ओर प्रवास करती हैं तथा वसन्त ऋतु में ऑण्टेरियो लौट आती हैं।


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