Zoology प्राणीशास्त्र

प्रश्न 121 : मुर्गी पालन समझाइये।

उत्तर- मुर्गी पालन (Poultry keeping)- मुर्गीपालन व्यवसाय के रूप में भी किया जाता है। मुर्गीपालन के अंतर्गत मुर्गे-मुर्गियाँ, बतखें तथा हंस आदि पाले जाते हैं। इनसे अण्डे, माँस और पंख मिलते हैं। मुर्गियाँ सामान्यत: बहुत कम अनाज या कूड़े-करकट पर जीवित रह सकती हैं। इनकी विशेष देखरेख की आवश्यकता नहीं होती है। ये किसी भी प्रकार की जलवायु में रह सकती हैं।

भारत का विश्व में अण्डा उत्पादन की दृष्टि से प्रमुख स्थान है एवं चिकन उत्पादन की दृष्टि से 20वाँ स्थान है। वर्तमान में भारत के पास शोध और उत्पादन के उन्नत साधन उपलब्ध हैं। भारत के विभिन्न स्थानों पर फार्मिंग पद्धति का उपयोग किया जाता है। देश में सबसे अधिक मुर्गियाँ आन्ध्र प्रदेश में हैं।

आवास (Habitat) : मुर्गी के लिए रेतीले, कंकरीले एवं चूने युक्त स्थान उपयुक्त होते हैं। पथरीली एवं नमी युक्त स्थान हानिकारक होता है। इसके आवास जमीन से 3-4 इंच ऊपर की ओर उठाकर बनाये जाते हैं। जिनका आमाप 6 x 5 x 5 फीट होता है तथा इसमें 6-8 मुर्गे सरलता से रह सकते हैं। व्यायाम एवं घूमने-फिरने के लिए कम से कम 40 x 30 फीट स्थान भी आवश्यक है।

वर्तमान में मुर्गी गृह (पिंजरे) भी आवश्यकतानुसार बनाये जा सकते हैं। ये लकड़ी, सीमेन्ट एवं ईंटों से बनाये जाते हैं। परन्तु धातु निर्मित गृह सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं। इनकी छत लोहे के टीन या लकड़ी के फंटों से ढकी जाती है। मुर्गों को संक्रमण से बचाने के लिए गृह में केरोसीन या फिनायल का छिड़काव करना चाहिए।

विकसित देशों में मुर्गीपालन पूर्णतः नियंत्रित बन्द आवास क्षेत्र में किया जाता है। ये वातानुकूलित धातु से बने जालीदार शेल्फ होते हैं। यहाँ मुर्गियाँ वातावरणीय प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त रहती हैं।

भोजन (Food)- मुर्गों को पालने के लिए इनका उचित पोषण होना चाहिए जिससे आकार व वजन में अच्छी वृद्धि करें तथा अण्डे भी बड़े एवं उच्च गुणवत्ता के हों। भिन्न-भिन्न आयु वर्गों के अनुरूप मुर्गों की पोषण आवश्यकता भिन्न-भिन्न होती है। इनको संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, एन्जाइम तथा खनिज आदि का मिश्रण दिया जाता है।

मुर्गों की प्रजातियाँ (Castes of fowls)- मुर्गीपालन माँस एवं अण्डे प्राप्त करने के लिए होता है। मुर्गों को इनकी विशेषताओं के आधार पर निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है-

(i) अण्डे देने वाले प्रकार

(ii) माँस उपलब्ध करवाने वाले

(iii) मनोरंजन एवं सजावटी प्रकार

(iv) अण्डे एवं माँस दोनों उपलब्ध करवाने वाले।

मुर्गियों की मुख्य नस्लें देशी असील-उत्तरप्रदेश में रामपुर और लखनऊ जिलों में तथा आन्ध्र में हैदराबाद जिले में और घागूस आन्ध्र एवं कर्नाटक में, पाली जाती हैं। इसके अतिरिक्त ह्वाइट लेघोर्न, रोड आइलैण्ड रैंड, ब्लैक मिनोक जैसी विदेशी नस्लें भी पाली जाती हैं।


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