व्यष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न : 15 माँग विश्लेषण के बारे में लिखो।

उत्तर - माँग विश्लेषण -

व्यवसाय निर्णय प्रक्रिया में माँग सिद्धान्त की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्येक व्यावसायिक फर्म में अनेक मुद्दे होते हैं जिन पर कार्यपालकों को निर्णय लेना होता है जैसे कि क्या उत्पादन करना है, कत्र उत्पादन करना है, कैसे उत्पादन करना है, उत्पादन की गुणवत्ता कैसी होगी आदि । माँग का सिद्धान्त इन समस्याओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है ।

माँग के सिद्धान्त को समझने से पूर्व हमें यह जानना होगा कि माँग क्या है ?

माँग का अर्थ

आम बोलचाल में माँग का तात्पर्य किसी वस्तु के लिए इच्छा से होता है किन्तु अर्थशास्त्र में माँग का तात्पर्य इससे अधिक है । अर्थशास्त्र में इस शब्द ‘माँग' का अभिप्राय किसी वस्तु के लिये उस 'इच्छा' से है जिसके पीछे उसके लिए रकम देने की योग्यता और तत्परता हो। किसी वस्तु के लिये इच्छामात्र को उसकी माँग का दर्जा नहीं दिया जा सकता। उदाहरणस्वरूप कोई व्यक्ति यदि कार खरीदना तो चाहता है किन्तु उसकी कीमत चुकाने के लिए उसके पास पर्याप्त धनराशि नहीं है-तब उसकी चाहत को कार के लिये उसकी माँग नहीं कहा जा सकता। और यदि कोई अमीर कंजूस व्यक्ति कार को खरीदना तो चाहता है किन्तु उसकी कीमत चुकाने को वह तत्पर नहीं है, इसलिये कार के लिये उसकी इच्छा भी उसकी मॉग नहीं है। किन्तु किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त धनराशि हो और कीमत चुकाने के लिए तत्पर भी हो तब कार खरीदने की उसकी इच्छा को एक प्रभावी माँग का दर्जा दिया जा सकता है।

माँग की परिभाषा :

वस्तु की माँग उन मात्राओं का एक कार्यक्रम है जिन्हें केता सभी संभव कीमतों पर किसी एक समय में तत्काल खरीदने के इच्छुक होते हैं।” –मेयर्स

एक दिये गये मूल्य पर किसी भी वस्तु की माँग वस्तु की वह मात्रा है जो उस कीमत पर समय की हर इकाई में खरीदी जाएगी। -बेन्हम

माँग का एक विशेष अर्थ है। सिर्फ किसी वस्तु को खरीदने की इच्छा ही माँग नहीं है। इच्छा के साथ-साथ सहमति एवं उसे खरीदने की भुगतान क्षमंता भी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए एक गरीब आदमी कार पाना चाहता है। वह इसके लिए तैयार है, पर समर्थ नहीं, क्योंकि उसके पास कार लेने की क्रयशक्ति नहीं है अत: कोर गरीब हेतु माँग नहीं है । ठीक उसी प्रकार मान लीजिए एक कंजूस व्यक्ति बड़ा अमीर है, वह कार खरीदना चाहता है। वह खरीद सकता

है, पर पैसा खर्च करने हेतु राजी नहीं है। कार यहाँ भी माँग नहीं है। संक्षेप में जब तीनों तत्त्व . इच्छा, सहमति एवं क्षमता आपस में मिलते हैं, तो माँग पैदा होती है।

माँग के लक्षण -

1. इच्छा तथा माँग में अंतर होता है। एक व्यक्ति सैकड़ों वस्तुओं की इच्छा रख सकता है पर उनमें से कुछ ही उसकी माँग होती है।

2. माँग एक प्रभावी इच्छा है, जो एक वस्तु खरीदने हेतु सहमति तथा क्षमता पर । निर्भर होती है।

3. माँग निकटता से मुल्य से सम्बन्धित है । मूल्य के बगैर माँग का अर्थ नहीं है।

4. माँग समय विशेष से सम्बन्धित होती है।

माँग विश्लेषण का उद्देश्य -

माँग विश्लेषण के दो आधारभूत उद्देश्य हैं

(i) विक्रय का पूर्वानुमान लगाना अथवा भविष्यवाणी करना।

(ii) माँग में परिवर्तन

कुछ अन्य उद्देश्य भी हैं, पर वे लाभ योजना की आर्थिक समस्या के समक्ष द्वितीय हैं। हर व्यापारी एवं फर्म अपना लाभ सबसे ज्यादा करना चाहती है। माँग विश्लेषण विक्रयकर्ताओं के कार्य का मूल्यांकन करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है। यह प्रतियोगियों की स्थिति पर नजर रखने हेतु भी उपयोग किया जाता है।

भविष्यवाणी करना, माँग अध्ययन का सबसे सामान्य उपयोग है। एक बड़ी कंपनी को एक पूर्णकालिक योजना प्रबन्धक की जरूरत होती है, जो त्रैमासिक तथा वार्षिक विक्रयं भविष्यवाणी को लागू करने हेतु जिम्मेदार है। यह पूरी योजना में एक केन्द्रीय भूमिका निभाता है । ऐसे एक उद्योग में, जो मौसम की विभिन्नताओं से प्रभावित होता है, जिसका एक व्यावहारिक उत्पादन कार्यक्रम होता हैं, जो इन्वेन्ट्री तथा लागत को संतुलित करते हुए कुल लागत को न्यूनतम करता है।

माँग विश्लेषण, माँग में परिवर्तन के मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करता है । भविष्यवाणी इस बात का सिर्फ एक संकेतक नहीं है कि सामान्य व्यावसायिक स्थितियाँ कम्पनी के विक्रय में क्या करेंगी। उसे विक्रय रणनीति बनाने के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में भी बदला जा सकता है।

मॉग फलन -

एक दिए गए बाजार में किसी दी गई समयावधि में एक वस्तु के लिए माँग फंक्शन को ‘वस्तु की विभिन्न माँगी गई मात्राओं तथा उन मात्राओं के निर्धारकों के बीच में सम्बन्ध' के रूप में परिभाषित किया जा सकता है । वे निर्धारक, इस तरह हैं:

1. वस्तु का मूल्य

2. उपभोक्ताओं की आय

3. उपभोक्ता की अभिरुचि

4. वस्तुओं के मूल्य

एक माँग-फंक्शन का सही या यथार्थ प्रारूप इस बात पर निर्भर करता है कि कैसे उपभोक्ता हर निर्धारकों के मूल्य में परिवर्तन के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं । यदि माना जाए कि अन्य वस्तुओं के मूल्य, आय तथा अभिरुचियाँ सभी स्थिर रहती हैं, तब माँग फंक्शन सामान्य माँग के नियम की तरह होता है। माँग फंक्शन्स प्रायः मूल्य व आय में शून्य डिग्री के समरूप होते हैं अर्थात् यदि सभी मूल्य तथा आय समान अनुपात में बदलते हैं, तब माँगी गई मात्रा अपरिवर्तित रहती है।

गणितीय भाषा में, एक फंक्शन आश्रित तथा स्वतंत्र चरों के बीच सम्बन्ध का चिन्हित कथन है । माँग फंक्शन एक उत्पाद के लिए माँग (आश्रित चर) तथा इसके निर्धारकों (स्वतंत्र चरों) के बीच सम्बन्ध को बताता है ।

माँग कार्यालाप -

किसी निर्धारित कालावधि के दौरान किसी निर्दिष्ट बाजार में किसी वस्तु के माँग कार्यालाप को इस तरह परिभाषित किया जा सकता है-“माँग की गई वस्तु की विभिन्न मात्राओं और उन मात्राओं के निर्धारकों के मध्य संबंध को माँग कार्यालाप कहा जा सकता है। ये निर्धारक निम्नवत हैं -

1. वस्तु की कीमत

2. उपभोक्ता की आय

3. उपभोक्ताओं की पसंद

4. वस्तुओं की कीमतें ।

माँग कार्यालाप का परिशुद्ध या सटीक स्वरूप इस पर निर्भर करता है कि निर्धारकों में से प्रत्येक के मूल्यों में परिवर्तनों के प्रति उपभोक्ताओं की अनुकूलता कैसी होती है। अन्य वस्तुओं की कीमतें, आय और पसंद-सभी स्थिर बनी रहें तो माँग कार्यालाप सीधे माँग के सामान्य नियम के अनुरूप ही होता है। कीमत और आय में अर्थ में माँग कार्यालाप सामान्यतया शून्य स्तर पर समरूप बना रहता है अर्थात् यदि सभी कीमतों और आय में उसी अनुपात से परिवर्तन हों तो माँगी गई मात्रा अपरिवर्तित रहेंगी।

अतएव, हम कह सकते हैं कि माँग कार्यालाप द्वारा किसी उत्पाद के लिए माँग (निर्भरशील परिवर्तक) और उसके निर्धारकों (स्वतंत्र परिवर्तक) के बीच संबंध को वर्णित किया जाता है ।

आइए, हम माँग कार्यालाप के एक काफी सरल मामले पर विचार करें। समझ लिया जाए कि कीमत छोड़कर वस्तु X के लिए माँग के सभी निर्धारक यथावत स्थिर अवस्था में बने हुए हैं। यह अल्पकालिक माँग कार्यालाप का मामला है। अल्पकालिक माँग कार्यालाप के मामले में X की माँगी गई मात्रा (Dx) उसकी कीमत (Px) पर निर्भर करती है। माँग कार्यालाप के लिए तब कहा जा सकता है कि वस्तु X के लिए माँग (Dx) तथा कीमत (Px) पर निर्भर करती, है । इस कथन को प्रतीकात्मक रूप में इस तरह लिखा जा सकता है -

Dx = f(Px)' ……(1)

इस कार्यालाप में Dx एक निर्भरशील और Px एक स्वतंत्र परिवर्तक है। कार्यालाप (1) बताता है कि X वस्तु के लिए माँग (अर्थात् Dx) उसकी कीमत (Px) का कार्यालाप है । इसका अभिप्राय यह है कि Px (स्वतंत्र परिवर्तक) में कोई परिवर्तन होने से Dx (निर्भरशील परिवर्तक) में परिवर्तन होता है। कार्यालाष (1) तथापि यह नहीं दर्शाता कि Dx में किसी निर्दिष्ट प्रतिशतजनक परिवर्तन के लिए है, में कितना परिवर्तन होता है, अर्थात् , यह Dx और Px के मध्य मात्रागत संबंध को नहीं बताता । जब Dx और Px के बीच मात्रागत संबंध ज्ञात हो तब माँग कार्यालाप को एक समीकरण के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। रैखिक (लीनियर) माँग कार्यालाप के सामान्य रूप को इस प्रकार लिखा जाता है -

Dx = a - bPx ....(2)

यहाँ 'a' स्थिर है जो कि शून्य कीमत पर कुल माँग को व्यक्त करता है और b = ∆D/AP4 भी स्थिर है जो कि Px में परिवर्तन के उत्तर में Dx में परिवर्तन को विनिर्दिष्ट करता

माँग कार्यालाप के स्वरूप :

समय के अनुरूप माँग कीमत संबंध की प्रकृति पर माँग कार्यालाप का स्वरूप निर्भर हुआ करता है। समय के अनुरूप मॉग-कीमत संबंध के दो सर्वाधिक आम स्वरूप इस प्रकार है-

1. अल्पकालिक माँग कार्यालाप

2. दीर्घगामी माँग कार्यालाप अल्पकालिक के आधार पर इसे फिर से दो किस्मों में वर्गीकृत किया जा सकता है -

(i) रैखिक (लीनियर) माँग कार्यालाप

(ii) गैर-रैखिक (नॉनलीनियर) माँग कार्यालाप और दीर्घगामी के आधार पर निम्न हो सकता है


(i) रैखिक माँग कार्यालाप- किसी माँग कार्यालाप को तब रैखिक कहा जाता है जब उसके फलस्वरूप रैखिक माँग वक्र बना करता है Eq. (2) द्वारा माँग कार्यालाप को रैखिक स्वरूप दर्शाया गया है । यह मानते हुए कि किसी प्राक्कलित माँग कार्यालाप में a = 100 और b = 5 है तब कार्यालाप (2) को इस प्रकार लिखा जा सकता है :

Dx = 100 - Px ...(3)

Px के लिये संख्यावाचक मूल्य स्थानापन्न करने पर एक माँग अनुसूची को निम्न सारणी में दिए अनुसार तैयार किया जा सकता है -


इस माँग अनुसूची को अंकित किए जाने पर यह एक रैखिक माँग वक्र दर्शाता है। जैसा कि निम्नवत रेखाचित्र में है । इस पर ध्यान दिया जाए कि रैखिक माँग वक्र में एक निरन्तर ढलान हैं

माँग कार्यालाप से किसी भी कीमत कार्यालांप को आसानी से पाया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप निर्दिष्ट माँग कार्यालाप (2) के अनुसरण में कीमत कार्यालाप को निम्नवत रूप से लिखा जा सकता है

Px = a – Dx / b

Px = a/b – 1/b Dx

a/b = a1 तथा 1/b = b1 को मानकर,मूल्य फंक्शन निम्न तरह लिखा जा सकता है ।

Px = a1 - biDx …(4)

(ii) गैर-रैखिक माँग कार्यालाप- किसी माँग कार्यालाप को तब गैर-रैखिक या वक्ररेखी कहा जाता है जब माँग वक्र (∆P/∆D) की ढलान पूरे वक्र पर परिवर्तित होती है। एक गैर-रैखिक माँग कार्यालाप से माँग रेखा की बजाय एक माँग वक्र मिला करता है जैसा कि निम्नवत आकृति से स्पष्ट है -


एक गैर-रैखिक माँग कार्यालाप निम्नवत रूप के घात कार्यालाप का स्वरूप लेता है-

Dx = aPx-b ….(5)

Dx = a/p+c – b ….(6)

जहाँ a 0, b 0 और c 0 है।

इसे नोट किया जाये कि गैर-रैखिक माँग कार्यालाप (5) में कीमत परिवर्तक का घातांक माँग के कीमत लचीलेपन का गुणांक है ।

(iii) बहविचारी या गतिशील माँग कार्यालाप- इससे ऊपर हमने एकल परिवर्तक माँग कार्यालाप अर्थात् कीमत के साथ एकल स्वतंत्र परिवर्तक के रूप में चर्चा की है। इसे अल्पकालिक माँग कार्यालाप के रूप में व्यक्त किया जा सकता है तथापि दीर्घगामी में न तो व्यक्ति और न ही किसी उत्पाद के लिए बाजार माँग का उसके निर्धारकों में से किसी एक के द्वारा निर्धारण किया जा सकता है क्योंकि अन्य निर्धारक स्थिर नहीं रहा करते । किसी उत्पाद के लिए दीर्घगामी माँग एक साथ प्रचलित सभी निर्धारकों के यौगिक प्रभाव पर निर्भर हुआ करती हैं । इसलिये किसी उत्पाद के लिए दीर्घकालिक माँग को प्राक्कलित करने के प्रयोजन से उसके सभी संबंधित निर्धारकों के हिसाब में लिया जाता है। उन्हें एक कार्यात्मक रूप में व्यक्त करते हैं। यह कार्यालाप माँग (एक निर्भरशील परिवर्तक) और उसके निर्धारक (स्वतंत्र परिवर्तक) के बीच संबंध व्यक्त करता है । इस प्रकार के माँग कार्यालाप को बहुविचारी या गतिशील माँग कार्यालाप कहा जाता है । उदाहरण के लिए इस कथन पर विचार किया जाए ।

माँग (D)

जिस वस्तु के लिए X

उसकी कीमत (P) पर निर्भर करती है।

उपभोक्ता की आय M

उसके स्थानापन्न की कीमत Y, (Py)

अनुपूरक वस्तु की कीमत Pc

उपभोक्ता की पसंद (T)

और विज्ञापन व्यय (A)

इस कथन को कार्यात्मक रूप में व्यक्त किया जा सकता है, यथा

Dx = f(Px, M, Py , Pc, T, A) ….(7)

कार्यालाप (7) द्वारा वस्तु X के लिए माँग का वर्णन किया जाता है जो कि ऐसे निर्धारकों पर निर्भर करता है, यथा,

Px, M, Py, Pc, T तथा A

यदि Dx, और मात्राजनक स्वतंत्र परिवर्तकों Px, M, Py, Pc, और A के मध्य संबंध रैखिक रूप में हो तो माँग कार्यालाप के प्राक्कलित रूप को निम्नवत व्यक्त किया जाएगा।

Dx = a + bPx + cM + dPy + gPc. +jA ...(8)

जहाँ 'a' एक स्थिर पद है और b, c, d, c, g और y स्थिरांक Dx तथा संबंधित स्वतंत्र परिवर्तक के बीच संबंध के गुणांक हैं।

किसी उत्पाद के लिए बाजार माँग कार्यालाप में अन्य स्वतंत्र परिवर्तकों को भी शामिल किया जा सकता है, यथा, जनसंख्या का आकार (N) और आय वितरण की माप आत गुणांक (G)।


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