Botany वनस्पति विज्ञान

प्रश्न 82 : परासरण और विसरण में अन्तर बताइये-

उत्तर- परासरण और विसरण (0smosis and Dijsusion) में अन्तर निम्न है-

परासरण (Osmosis) - परासरण विलायक पदार्थों का विशिष्ट प्रकार का विसरण है जो अर्धपारगम्य झिल्ली के माध्यम से होता है। यदि एक विलयन तथा उसके शुद्ध विलायक को अर्ध पारगम्य झिल्ली (जो विलायक अणुओं को प्रवेश प्रदान करती है) द्वारा रखते हैं तो विलायक के अणु विलयन में विसरित हो जाते हैं। इस प्रकार विलायक अणुओं का अर्ध पारगम्य झिल्ली के माध्यम से विलयन में विसरण परासरण कहलाता है। यदि दो भिन्न सान्द्रता के विलयनों को अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किया जाता है तो विलायक निम्न सान्द्रता के विलयन से उच्च सान्द्रता विलयन में विसरित होता है। तथा यह क्रिया तब तक जारी रहती है "विलायक अणुओं का। अर्ध पारगम्य झिल्ली से होकर कम सान्द्रता विलयन से अधिक सान्द्रता विलयन में विसरण की क्रिया परासरण कहलाती हैं।" उपरोक्त दोनों ही परिस्थितियों में विलायक अपनी अधिक सान्द्रता क्षेत्र से कम सान्द्रता क्षेत्र में विसरित होता है। इस प्रकार "परासरण वह क्रिया है।

जिसमें विलायक या जल अपनी अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर अर्ध पारगम्य झिल्ली के माध्यम से विसरित होता है" परासरण क्रिया तब तक जारी रहती है जब तक साम्यावस्था स्थापित नहीं हो जाती है।



चित्र- अ अन्तः परासरण और ब बहिः परासरण

परासरण क्रिया द्वारा जीवित कोशिकओं या ऊत्तकों में जल प्रवेश (अन्तर्गमन) अन्तः परासरण कहलाता है। जबकि परासरण द्वारा कोशिकाओं या उत्तकों से जल का निकास (बहिर्गमन) बाह्यः परासरण कहलाता है। अन्तः परासरण तथा बाह्यः परासरण कोशिकाओं तथा बाह्य वातावरण में जल की आपेक्षिक सान्द्रता पर निर्भर करता है।

विसरण (Diffusion)- "ठोस, द्रव एवं गैस अणुओं की अधिक सान्द्रता क्षेत्र से कम सान्द्रता क्षेत्र की ओर होने वाली गति को विसरण कहते हैं" यह गति तब तक जारी रहती है जब तक अणुओं का उपलब्ध माध्यम में समान वितरण नहीं हो पाता है। उदाहरण- यदि इत्र या अमोनिया से भरी बोतल को खोलकर कमरे के किसी स्थान पर रख दिया जाये तो जल्दी ही इसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है। इसी प्रकार यदि जल से भरे बीकर में कॉपर सल्फेट का क्रिस्टल डाल दिया जाये तो कुछ समय पश्चात् क्रिस्टल अदृश्य हो जाता है। तथा बीकर का सारा जल नीला हो जाता है। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि अणुओं का अपनी अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर प्रसार होता है तथा अणु उपलब्ध माध्यम में समान रूप से फैल जाते है।

उष्मागतिकी के द्वितीय नियम के अनुसार पदार्थ के अणुओं की गति उनकी उच्च मुक्त ऊर्जा क्षेत्र से कम मुक्त ऊर्जा की ओर होती है। पदार्थ की मुक्त ऊर्जा उसके अणुओं की गति की दर तथा इकाई क्षेत्रफल में अणुओं की संख्या पर निर्भर करती है जिसे "रासायनिक विभव" कहते हैं। इसलिए किसी पदार्थ की विसरण दर उसकी मुक्त ऊर्जा अथवा रासायनिक विभव पर निर्भर करती है। इस प्रकार पदार्थ की विस्मरण दर उच्च सान्द्रता क्षेत्र से निम्न सान्द्रता क्षेत्र की ओर ‘सान्द्रता प्रवणता' के अनुसार होती है तथा यह क्रिया तब तक जारी रहती है जब तक उपलब्ध क्षेत्र में सान्द्रता प्रवणता समाप्त न हो जाये। इस अवस्था को साम्यवस्था कहते हैं।

किसी भी तंत्र में प्रत्येक पदार्थ का विसरण दूसरे पदार्थ के विसरण से स्वतंत्र होता है। गैस, द्रव या विलेय एक ही माध्यम में स्वतंत्र रूप से एक दूसरे को प्रभावित किये बिना स्वयं की अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर विसरित होते हैं इसे स्वतंत्र विसरण कहते हैं। उदाहरणार्थ जलवाष्प तथा ऑक्सीजन का रन्ध्रों से बाहर की ओर जबकि कार्बन डाइऑक्साइड का पत्तियों में भीतर की ओर विसरण होता है। इन सभी का विसरण एक दूसरे से स्वतंत्र तथा स्वयं की सान्द्रता प्रवणता के अनुसार साथ साथ तथा भिन्न-भिन्न दर से होता है।<


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