Botany वनस्पति विज्ञान

प्रश्न 67 : भारत की वन वनस्पति पर निबन्ध लिखिये।

उत्तर- वन (Forest)- हेन्सन ने वन को परिभाषित करते हुए कहा है कि 'वृक्षों का एक खड़ा हुआ समूह जो विभिन्न प्रकार के पादपों से एक साथ सवृत सहसंघ (Closed associatian) बनाता हो, वन कहलाता है।

जलवायु के आधार पर भारत के वनों का नवीनतम वर्गीकरण चैम्पियन तथा सेठ (Champion and Seth 1967,72) द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इनके अनुसार भारत के मुख्य वनों को निम्नाकिंत पांच प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है, जिन्हें पुनः कई और प्रकारों में बाँटा गया है।

इनका विवरण निम्नानुसार किया गया है-

1. आई उष्णकटिबंधीय वन (Moist tropical forests)- ऐसे क्षेत्र, जहाँ वर्ष भर तापक्रम तथा आर्द्रता काफी उच्च रहते हैं तथा वर्षा का औसत भी अत्यधिक ऊंचा होता है, उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहलाते हैं। इन स्थानों की वनस्पति अत्यधिक सघन होती है। भारत में काफी विस्तृत क्षेत्र में आई उष्णकटिबंधीय वन पाये जाते हैं। चैम्पियन तथा सेठ ने इन्हें पाँच प्रकारों में बांटा है

(i) आई उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन (Moist tropical evergreen forests)-

वितरण (Distribution)- इन वनों को उष्ण वर्षा वन (Tropicalrain forests) भी कहते हैं क्योंकि इन वनों में वर्षा की अधिकता (250 सेमी. से भी अधिक) पायी जाती है। इसी कारण इनमें वृक्ष सघन रूप में उगे रहते हैं तथा लम्बाई में 45 मीटर तक पहुँच जाते हैं, यहाँ सदाहरित वन पाये जाते हैं। इस प्रकार के वन पश्चिमी घाट बंगाल, अण्डमान द्वीप समूह तथा मैसूर के उत्तरी कनारा, अन्नामलाई की पहाडियों, कुर्ग (koorg) व आसाम के कुछ भागों में पाये जाते हैं।

वनस्पति (vegltation)- इन वनों में पाई जाने वाली मुख्य वृक्ष जातियाँ हैं- डिप्टेरोकार्पस इंडिकस (Dipterocarpus indicus: गर्जन), कैलोफिलम टोमेन्टोसम (Calophyllum tomentosum, पूर्ण) मैन्जीफेस (Mangifera) सिजीजियम (Syzygium), डायोस्पाइरोस (Diospyros), सेपिन्डस (Sapindus), अल्सटोनिया (Alstonia), डेन्ड्रोकेलेमस (Dendrocalamus) केलेमस (Calamus), वाइटेक्स (Vitex), माइकेलिया (Michehelia), इक्सोरा (ixora : रंजन) अनेक फर्न (Ferns) व आर्किड (Orchids) आदि।

(ii) आई उष्णकटिबंधीय अर्ध सदाबहार वन (Moist tropical semi evergreen forests)-

वितरण (Distribution)- इस प्रकार के वन भी अधिक वर्षा (लगभग 200 सेमी. से अधिक) तथा उष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इन वनों में वृक्ष 25 से 35 मीटर ऊँचे तथा सघन होते हैं। परन्तु झाड़ियाँ अधिक पाई जाती हैं। ये वन पश्चिमी घाटों के पास (Along western coasts), पूर्वी उड़ीसा तथा आसाम के ऊपरी भागों में पाये जाते हैं। वनस्पति (Vegetation) अण्डमान में डिप्टारो कार्पस (Dipterocarpus), टर्मिलेलिया (Terminalia), तथा उड़ीसा में आर्योकार्पस (Artocarpus) और मैंजीफेरा (Mangifera) तथा आसाम में अमोरा (Ammora) की प्रभाविता पाई जाती है।

(iii) आई उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Moist tropical deciduous forests) -

वितरण (Distribution)- ये वन देश के लम्बे चौड़े क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इन वनों के स्थलों पर केवल कुछ अवधि को छोड़कर वर्ष भर पर्याप्त वर्षा (150-200 सेमी.) होती रहती है। इनमें वृक्ष पर्णपाती होते हैं। ये वन मैसूर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमालय की तराई के क्षेत्र में, बिहार व बंगाल, केरल, कर्नाटक पश्चिमी पंजाब, आसाम व उड़ीसा के कुछ भागों में फैले हुए हैं।

वनस्पति (Vegetation) - ऐसे वनों के उत्तर की ओर शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta; साल) दक्षिण के वनों में टेक्टोना ग्रेन्डिस (Tectona grandis; सागवान), की जाति सर्व प्रधान होती है। इनके अतिरिक्त अन्य प्रधान जातियाँ जैसे - डेलबर्जिया (Dalbergia), टूना (Toona), स्टरकूलिया (Sterculia), लेरिस्ट्रोमिया (Lagerstroemia), पोन्गेमिया (Pongamia), आदि पाई जाती हैं।

(iv) उष्ण समुद्रतटीय वन (Tropical littoral forests) -

वितरण (Distribution)- इस प्रकार के वन सुन्दर वन में तथा उड़ीसा, मद्रास, कोचीन और मुम्बई के समुद्र तटीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इसी प्रकार के वन नदियों के किनारे दलदली स्थानों पर भी मिलते हैं। वनस्पति (Vegetation) - कम लवण वाले दलदली क्षेत्र में फ्रेगमाइटिस (Phragmites), केजुएराइना (Casuarina), केलोफिलम (Calophyllum), फीनिक्स (Phoenix), मोरिण्डा सिट्रीफोलिया (Morindsa citrifiolia), 1119 copy past (Cycas rumphii), FRITT आदि।

(v) ज्वार एवं अलवणीय दलदली वन (Tidal and fresh water swamp forests) -

वितरण (Distribution)- भारत के उष्म ज्वार वन प्रायः कुछ नदियों के डेल्टा पर विलगित (Isolated) समूह में पाये जाते हैं। विशेषकर ये कृष्णा, गोदावरी व गंगा के डेल्टा (Delta) पर मिलते हैं। वनस्पति (Vegetation) - सुन्दरवन में बंगाल डेल्टा पर एक बड़ा ज्वार वन है। इन वनों में पाई जाने वाली मुख्य वनस्पति है, जैसे- सुन्दरी वृक्ष हेरिशिएरा फोमीज (Heritiera fomes), फीनिक्स पेलूडो (Phoenix paludo), नीपा (Nipa), एक्सकोकेरिया (Excoecaria) आदि।

2. शुष्क उष्णकटिबंधीय वन (Dry tropical forests)- इन्हें निम्न तीन भागों में विभक्त किया गया है-

(i). उष्ण शुष्क पर्णपाती वन (tropical dry deciduous forests) –

वितरण (Distribution)- इस प्रकार के वन भारत के कुल वन क्षेत्र के लगभग 40 प्रतिशत भाग में फैले हुए हैं। इन क्षेत्रों में वर्षा 75 सेमी. से 125 सेमी. तक होती है, लेकिन 6 माह की अवधि तक शुष्क मौसम रहता है। ये पंजाब, उड़ीसा, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग में विस्तारित हैं। प्रधान वनस्पति के आधार पर इन्हें पुनः दो भागों में बाँटा गया है

(अ) उत्तरी पर्णपाती वनों में शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta; साल) एगोनाइसिस लेटीफोलिया (Anogeissus latifolia), टर्मिनेलिया टोमेन्टोसा (Terminalia tomentosa) की प्रधान जातियाँ हैं।

(ब) दक्षिणी पर्णपाती वनों में टेक्टोना ग्रेन्डिस (Tectona grandis) की प्रधानता होती है। इसमें सामान्य रूप से डेलबर्जिया (Dalbergia), टर्मिनेलिया (Terminalia), डायोस्पइरोस (Diospyros), बोसवेलिया (Boswellia), जिजिफस (Ziziphus), होलाना (Holarrhena), डेन्ड्रो के ले मस (Dendrocalamus), मेटिनस (Maytenys) आदि।

(ii) उष्ण कंटीले वन (Tropical thorn forests)-

वितरण (Distribution)- ऐस वन कम वर्षा के क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यहाँ पर 20 से 60 सेमी. औसत वर्षा होती है एवं तापमान काफी उच्च होता है। ऐसे वन पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल में कंटीले जंगल या झाड़ियों के रूप में मिलते हैं तथा वृक्षों का प्रायः अभाव सा रहता है। राजस्थान के अलावा दक्षिणी पंजाब के कुछ भागों, बुन्देलखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु व मध्यप्रदेश के कुछ भागों में इसी तरह के वन मिलते हैं।

वनस्पति (Vegetation) – चैम्पियन (1993) ने मरुस्थल वनस्पति को उष्ण कंटीले वन कहा है। इनमें पाई जाने वाली मुख्य वनस्पति है जैसे – अकेशिया की अनेक जातियाँ, प्रोसोपिस सिनेरेरिया (Prosopis cinerarea) के पेरिस (Capparis) जिजिफस (Ziziphus) साल्वेडोरा (Salvadora), एट्रीप्लेक्स (Atriplex), लेप्टाडिनिया (Leptadaenia), केलोट्रोपिस (Calotropis) सुएडा (Suaeda), 'कोचिया (Kochia) आदि।

(iii) उष्ण शुष्क सदाबहार वन (Dry tropical evergreen forests)-

विवरण (Distribution)- इन वनों में वर्षा पर्याप्त होती है लेकिन शुष्क अवधि काफी लम्बी होती है। वृक्ष घने, सदाबहार व कम ऊंचाई (लगभग 10 से 15 मीटर) के होते हैं। ये वन पूर्वी तमिलनाडु के पूर्वी व पश्चिमी घाटों आन्ध्रप्रदेश के कुछ भागों में भी मिलते हैं।

वनस्पति (Vegetation)- ये वन बड़े ही महत्त्व के हैं क्योंकि कम वर्षा में भी ये हरे बने रहते हैं। इसमें पाई जाने वाली वनस्पति कुछ-कुछ उष्ण आर्द्र सदाबहार वनों से मिलती जुलती है जैसे- माबा (Maba), मनीलकारा हेक्सएण्ड्रा (Manilkara hexandra), पाबट्टा (Pabatta), फेरानिया (Feronia), मिमूसोप्स एलेंगी (Mimusops elengi), डायोस्पाइरोस आदि।

3. पर्वतीय उपोष्ण वन (Montane subtropical forests)- इस प्रकार के वन पहाड़ों पर 1500 से 1800 मीटर की ऊँचाई तक पाये जाते हैं। जहाँ की जलवायु नम तथा तापमान कम रहता है। भारत के आसाम, उडीसा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बंगाल के कुछ भागों तथा जम्मू में कम ऊँचाई के पहाड़ों पर उपोष्ण वन पाये जाते हैं। इस प्रकार के वनों को तीन प्रकारों में विभक्त किया गया है

(i) उपोष्ण चौड़ी पत्ती वाले नम पहाड़ी वन (subtropical broad leaved moist hill forests)-

वितरण (Distribution)- पर्वतों की कम ऊँचाई तक अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में चौड़ी पत्तियों वाले वन पाये जाते हैं। ये वन महाबलेश्वर, कर्नाटक, बंगाल, आसाम, दार्जिलिंग, मैसूर, कालिम्पोंग, नीलगिरि, माउण्ट आबू तथा पूर्वी हिमालय पर्वतों की ढलानों पर पाये जाते हैं।

वनस्पति (Vegetaion)- इन वनों में मुख्य रूप से टर्मिनेलिया (Terminalia), मुराया (Murraya), फाइकस (Ficus), ऐल्नस (Alnus), स्माइलेक्स (Smilax) आदि वनस्पति पाई जाती है।

(ii) उपोष्ण शुष्क सदाबहार वन (Subtropical dry evergreen forests)-

वितरण (Distribution)- ये प्रायः हिमालय की 1500 से 5000 फीट की ऊँचाई में मिलते हैं। कश्मीर की लवणीय परिसीमा (Salt range) में भी पाये जाते हैं अर्थात् भारत के उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों तक सीमित है। इसमें वर्षा का औसत 40 से 80 सेमी. तक होता है। वनस्पति (Vegetation)- हिमालय में कम ऊँचाई पर प्रायः ओलिया केसपीडेटा (Olea caspidata), अकेशिया मोडेस्टा (Acacia modesta), डोडोनिया (Dodonea), के वृक्ष मिलते हैं। इन वनों की वनस्पति छोटी पत्तियों व कंटकयुक्त मरुभिद् लक्षण वाली होती हैं लेकिन वर्षा के कम होने पर भी सभी पौधों की पत्तियाँ एक साथ नहीं झड़ती हैं। इसी कारण यहाँ पादप सदा हरे बने रहते हैं।

(iii) उपोष्ण चीड़ वन (Subtropical pine forests)-

वितरण (Distribution)- ये वन मुख्यतया पश्चिमी व मध्य हिमालय क्षेत्र, आसाम की पहाड़ियों में काश्मीर के दक्षिणी क्षेत्रों में तथा हिमाचल के कुछ भागों में स्थित हैं जो करीब 3000 से 6000 फीट की ऊँचाई तक फैले रहते हैं।

वनस्पति (Vegetation)- आसाम की कुछ पहाड़ियों पर 1875 मीटर की ऊँचाई तक पाइनस रोक्सबर्घाई (Pinus roxburghii = pinus longifolia), पाइनस खासिया (P. Khasya) की प्रधानाता मिलती है। नीला पाइन पाइनस एक्सेल्सा (Pinus excelsa), पाइसिया मोरिण्डा (Picea morinda), टेक्सस (Taxus) भी पाये जाते हैं।

4. पर्वतीय शीतोष्ण वन (Montane temperate forests)-

ये वन हिमालय क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाओं में 1800 से 3900 मीटर की ऊँचाई के मध्य मिलते हैं तथा कम तापमान व आर्द्रता वाले वन हैं। इन्हें औसत वर्षा के आधार पर निम्न प्रकारों में विभक्त किया गया है-

पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन (Montane wet temperate forests)-

वितरण (Distribution)- पूर्वी हिमालय तथा दक्षिण भारत की नीलगिरि की पहाड़ियों पर ये वन मिलते हैं। ये वन अरुणाचल प्रदेश, नेपाल से आसाम तक की पहाड़ियों में (पर्वत श्रृंखलायें) 1800 से 3100 मीटर की ऊँचाई तक फैले हुए हैं।

वनस्पति (Vegetation)- इन वनों में अधिपादपों की बहुलता तथा होपिया (Hopea), आर्टोकार्पस (Artocapus), सालमेरिया (Salmelia), हार्डविकिया (Hardwickia), रोडोडेन्ड्रोन नीलगिरीकम (Rhododendron nilagiricum), बेलेनोकार्पस (Balanocarpus), की मुख्य जातियाँ पाई जाती हैं।

(ii) हिमालय के नम शीतोष्ण वन (Himalayan moist temperate forests)-

हिमालय के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में 1500 से 3000 मीटर की ऊँचाई के मध्य क्वेर्कस (Quercus), तथा शंकुधारी वृक्षों की प्रमुखता वाले वन पाये जाते हैं इन वनों में पाइनस (Pinus), पाइसिया (Picea), एबीज (Abies), सिद्भस (Cedrus), क्यूप्रसस (Cupressus) जातियाँ पाई जाती हैं।

(iii) हिमालय के शुष्क शीतोष्णवन (Himalayan dry temperate forests)-

वितरण (Distribution)- इस प्रकार के वन 3000 से 4000 मीटर तक ऊँचाई से भी अधिक ऊँचाई में पश्चिमी हिमालय में उत्तर प्रदेश से हिमालय प्रदेश और पंजाब से कश्मीर तक कम वर्षा के क्षेत्रों में पाये जाते हैं।

वनस्पति (Vegetation)- इन वनों में पाइनस (Pinus), सिड्स (Cedrus), पाईसिया (Picea), के वृक्ष पाये जाते हैं। इसके अलावा डेफनी (Daphne), डेस्मोडियम (Desmodium; टेनीग्राफ पौधा), केनाबिस (Canndbis), अधिपादप, फर्न, मॉस, लाइकेन, आदि पाये जाते हैं।

5. अल्पाइन वन तथा गुल्म (Alpine forests and scrubs)

वितरण (Distribution) - ये हिमालय में अधिकतर 3500 मीटर की ऊँचाई पर उगते हैं। कम ऊँचाई पर छोटे वृक्षों के वन होते हैं। अधिक ऊँचाई पर टिम्बर रेखा के पश्चात् झाड़ियाँ तथा और ऊँचाई (हिमरेखा समीप) पर केवल शाकीयं (Herbaceous) समुदाय ही वास्तविक अल्पाइन वन मिलते हैं।

वनस्पति (Vegetation)- यहाँ पर पाई जाने वाली वनस्पति में मुख्य रूप से - रोडेन्ड्रान (Rhododendron), एबीज (Abies), जूनीपेरस (Juniperus), थेलीक्ट्रम (Thalictrum), सीडम (Sedum), प्राईमूला (Primula), केरेक्स (Carex), रेननकुलस (Ranunculus), एनीमोन (Anemone), कंटीली झाड़ियाँ आदि पाये जाते हैं।


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