Botany वनस्पति विज्ञान

प्रश्न 47 : आनुवांशिक मानचित्रण की मूलभूत तकनीक पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये -

उत्तर: (1) आनुवांशिक मानचित्रण- आनुवांशिक मानचित्रण में विभिन्न लक्षणों के आगे की पीढ़ियों में स्थानान्तरण व लाक्षणिक अनुपात (phenotypic ratio) के आधार पर उनसे सम्बन्धित जीन की गुणसूत्र पर स्थिति का आकलन किया जाता है। यह सहलग्नता (linkage) एवं क्रॉस ओवर (cross over) के प्रतिशत पर आधारित होता है।

(2) भौतिक मानचित्रण- भौतिक मानचित्रण में कुछ जैव तकनीक विधियाँ जैसे रेस्ट्रिक्शन मेपिंग आदि के द्वारा जीन की गुणसूत्र पर स्थिति निश्चित की जाती है।

(iii) आण्विक मानचित्रण- आण्विक मानचित्रण में गुणसूत्र के प्रत्येक जीन में विभिन्न क्षारकों का अनुक्रम सुनिश्चित किया जाता है।

किसी जीव के जीनोम में जीन रेखीय क्रम में गुणसूत्रों पर व्यवस्थित होते हैं। मार्गन (Morgan, 1910) ने ड्रोसोफिला (Drosophila) मक्खी पर वंशागति अध्ययन के आधार पर कुछ तथ्य प्रतिपादित किये जो निम्न हैं

(i) जीन (Genes) गुणसूत्रों पर रेखीय क्रम में व्यवस्थित होते हैं। तथा एक ही गुणसूत्र पर उपस्थित जीन एक साथ रहने की प्रवृत्ति रखते हैं।

(ii) किन्हीं दो जीनों के बीच की दूरी सहलग्नता (linkage) के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

(iii) अधिक दूरी पर उपस्थित जीनों में क्रॉसिंग की आवृत्ति अधिक होती है परन्तु सहलग्नता सामर्थ्य कम होती है।

(iv) विभिन्न जीनों के मध्य सहलग्नता एवं क्रॉसिंग ओवर की प्रतिशत की तुलना के आधार पर दूरी तय की जाती है तथा इसके आधार पर ये मानचित्र बनाये जाते हैं जिन्हें सहलग्नता मानचित्र (linkage map) कहते हैं।

(v) ऐसे जीनों भिन्न-भिन्न समूहों के बीच सहलग्नता के आधार पर अंततः गूणसूत्र मानचित्र (chromosome map) तैयार किये जाते हैं।

जैवप्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ कुछ नवीन तकनीकें खोजी की गई हैं जिनके द्वारा कम समय व मेहनत से गुणसूत्र पर जीन अनुक्रम (gene sequence) ज्ञात किये जा सकते हैं। रेस्ट्रिक्शन जीन मानचित्रण, गुणसूत्र चलन (Chormosome walking) तथा जीन अनुक्रमण (gene sequencing) ऐसी ही मुख्य तकनीकें हैं जिनके द्वारा जीन अनुक्रम सरलता से ज्ञात किये जा सकते हैं।


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